Monday, August 15, 2011



आइना देख-देख मैं खुद में तुमको ढूंढता हूँ
तू दूर सही, पर होगी दिल के पास भी कहीं,
चंदा होता नहीं सिर्फ आकाश में
चमकता हरदम सागर में भी कहीं--कहीं


जब जानती हो दर्द बहुत होता है
जख्म दिल का कभी भरता नहीं,
तो खरीद लो बाज़ार से खिलौने
दिलों से खेलने का चलन अच्छा नहीं


जिसके पास जितना है, उतना लेकिन कम ही है
वर्तुलाकार इस जगत में, जाओ जितना तम ही है
मधुर गीत उसकी सुन, सोचा मैंने उसको ही नगमा
जाने कौन कह गया कानों में, गाओ कितना; गम ही है


सोचो, तब कैसा कश-म-कश तन जाता है
जब उत्तर ही प्रश्न बन जाता है,
कैसे सजाऊँ मैं सपनों की महफ़िलें
मातम यहाँ हर जश्न ही बन जाता है


राह देखती है हमेशा ये जिंदगी
कभी मीत का, तो कभी मौत का
फिर भी नज़र फेर लेता है इंसान
ज्यों साया हो किसी सौत का

दोस्त तुम्हें पाने खातिर
दुनियां को हम भुला देंगे,
मुल्ला गर करे न निकाह कबूल
हम मजहब भी ठुकरा देंगे


तुम नहीं हो साथ मेरे तो कोई गम नहीं
पर तुम बिन जीने में मुश्किल तो कम नहीं


तुम मेरे गुलदस्ते की फूल नहीं बन सकती तो क्या
चलो थोड़ी देर हम बाग़ में ही गुजार लेंगे


दबाना आसां होता प्यार को, तो हम इजहार न किये होते
देखें तुम्हारी कोशिशें कब नाकामयाब होती हैं

१०

दर्द मोहब्बत का बता सकते वही, जो झेलते हैं
जाने कैसे दिल की चोट खाए भी, दिल से खेलते हैं

११
सनम ! कैसे बताएं, तुम्हें कितना प्यार करते हैं
तुम्हारी ख़ुशी के लिए, तुम्हें भी छोड़ सकते हैं

१२
हमेशा याद नहीं करने का मतलब
सिर्फ भूल जाना ही नहीं
मन में संजो कर रखना भी होता है

Thursday, August 11, 2011

DIL BADAL JATA HAI DIN KI TARAH

दिल बदल जाता है दिन की तरह


दिल मिल जाता है दिल की तरह

प्रेम की किरणों में नहाने लगा
इठलाने, इतराने, सँवरने लगा
दिल की पूछो न तब हाले-बयां
फूलो -सा मचलने और गाने लगा

दिल भर जाता है झील की तरह

खिलते है कमल पर महकते नहीं
उठती हैं लहरें पर बहकती नहीं
जब होती है बारिश तो भरता है झील
नहीं तो बूंदों को तरसता है झील

दिल चुभ जाता है कील की तरह

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Dil badal jata hai din ki tarah

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