Friday, May 16, 2014

'आप' को नहीं मिली आशा के अनुरूप सीटें
फिर भी चुनाव  में बेहतरीन प्रदर्शन
(एक कार्यकर्ता की राय)

इस लोकसभा चुनाव में हमारा प्रदर्शन हमारी आशा के अनुरूप नहीं रहा, पर स्वतंत्र भारत के चुनावी इतिहास के मद्देनजर हमारा प्रदर्शन बेहतरीन एवं संतोषप्रद रहा है. हमारी पार्टी को चार सीटें मिली हैं, जबकि प्रथम बार भाजपा ने जब लोकसभा चुनाव लड़ा था तो उन्हें दो ही सीटें मिली थीं. दिल्ली एवं पंजाब सहित देश के नौ लोकसभा सीटों पर हम दूसरे स्थान पर रहे. पैसे की कमी भी हमारे खराब प्रदर्शन का एक कारण बनी. दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय हमें 20 करोड़ रुपये चंदे के रूप में आए थे. ये चुनाव दिल्ली विधानसभा की तुलना में काफ़ी बड़ा चुनाव था. फिर भी हमें चुनाव ख़त्म होने तक सिर्फ़ 35 करोड़ रुपये के लगभग ही चंदे के रूप में प्राप्त हो सके थे. हमारे अधिकांशतः प्रत्याशी आर्थिक रूप से कमजोर थे और पैसे के अभाव में अधिकांश लोकसभा क्षेत्रों में हमारा प्रचार-प्रसार सुचारू रूप से नहीं हो पाया. फिर भी छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान एवं अन्य केन्द्रशासित प्रदेशों में हमें करीब 110 सीटों पर तीसरा एवं चौथा स्थान प्राप्त हुआ है. इस चुनाव एक तरफ जब देश की मात्र छह राष्ट्रीय पार्टियों में शामिल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को मात्र एक़ सीट प्राप्त हुए एवं बहुजन समाज पार्टी को शून्य पर सिमट जाना पड़ा. दूसरी तरफ कई वर्षों पुरानी पार्टियाँ नेशनलिस्ट कॉंग्रेस पार्टी को छह, समाजवादी जनता पार्टी को मात्र पाँच, शिरोमणि अकाली दल को चार, राष्ट्रीय जनता दल को चार, जनता दल (यूनाइटेड) को दो, जनता दल (सेकुलर) को दो एवं इंडियन नेशनल लोकदल को महज दो सीटें मिली हैं. ऐसे में आम आदमी पार्टी को मिली चार सीटें संतोषप्रद हैं. फिर भी हमलोग अपने इस प्रदर्शन को लेकर खुश नहीं हैं
देश के कई इलाक़ों में हमारा संगठन ग्राम-सभा स्तर तक तैयार नहीं हो पाया था, जिस वजह से कई लोकसभा क्षेत्रों में प्रत्याशियों के चयन में भी खामियाँ रह गईं.  
कॉंग्रेस के घोटालों एवं उनकी नीतियों की वजह से पैदा हुई मंहगाई, भ्रष्टाचार एवं बेरोज़गारी जैसी समस्याओं से देश परेशान हो चुका था. इसलिए कॉंग्रेस को हराने के लिए जनता को एक विकल्प चाहिए था. इस चुनाव में हमलोग जनता के सामने यह साबित नहीं कर सके कि कॉंग्रेस जैसी चालाक पार्टी को उखाड़ फेंकने में हमारी पार्टी सक्षम है. इसलिए अधिकांश जनता ने हमें एक अच्छी पार्टी मानते हुए भी भाजपा को वोट कर दिया. हमलोगों ने जनता को भाजपा की हक़ीकत बताने का प्रयास भी किया, पर हम अपने लक्ष्य में सफल नहीं हो सके. अब भाजपा की सरकार बन रही है. अब इनकी शासन में जनता इनके उन हक़ीकतों का अनुभव कर सकेगी जिनके बारे में हमलोग चुनाव के पहले से ही कह रहे हैं.
जनता से राय-मशवरा किए बिना दिल्ली की सरकार से इस्तीफ़ा देना भी हमारी ग़लती थी. दरअसल हमलोगों को जब अहसास हुआ कि कॉंग्रेस और भाजपा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं तो हमलोग इसी लोकसभा चुनाव में इनकी पोल खोल कर इन्हें सत्ता से दूर कर देना चाहते थे ताकि इन दोनों के द्वारा देश की जनता को ठगे जाने का जो चक्र पिछले कई दशकों से चल रहा है, उसे इसी लोकसभा चुनाव में ख़त्म कर दिया जाए. लेकिन हम ऐसा करने में सफल नहीं हो सके. हमें दुख है कि भाजपा के लोग जनता को भ्रमित करने में सफल हो गये और हम उन्हें नहीं रोक सके. हमें चिंता है कि अगले पाँच साल में भाजपा देश को जाने किस दिशा में ले जाएगी. फिर भी हम प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर भाजपा के नेताओं को सद्बुद्धि देते रहें ताकि देश में अमन-चैन बरकरार रहे.
जीत और हार हमारे लिए बहुत मायने नहीं रखते. हमलोग धर्म के पक्ष में एवं अधर्म के खिलाफ अपना कर्म कर रहे हैं एवं सच्चाई के लिए हमेशा संघर्ष करते रहेंगे.
  
धनंजय कुमार सिन्हा
कार्यकर्ता, आम आदमी पार्टी
पटना
मो. 09334036419

17 मई, 2014

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