सच्चा आस्तिक
हवाएँ बेपरवाह टकराती हैं पर्वत से
नदियाँ नहीं डरती शिलाओं की करवट से
कभी तो सुना नहीं –
हवाओं को कोई टोक दिया,
नदियों को सागर में मिलने से रोक लिया
दरअसल अपनी स्वाभाविकता में जो कोई भी होता है
जो आगे की बातें खुदा पर छोड़ देता है
वही सफल होता पाने में मंजिल
उसी को खुदा हर ख़ुशी देता है,
साहस से आत्मा की पुकार पर बढ़ जाये जो
वही सच्चा आस्तिक भी होता है
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