Thursday, January 26, 2012

फिर ना कहना दीवानी हो गयी हूँ


दिल ने है प्यार किया, मैंने इकरार किया
दिल के ही कहने पर, मैंने इज़हार किया
दिल ही तो है जो पुकारता है प्रिया ! प्रिया !

दिल के भी किस्से बड़े ही अजीब से हैं
ना जाने कितने नादां इसके शिकार हुए हैं
आ जाये कब किस पर, किसको है पता !
ग़ालिब भी इसके गुलाम हुए हैं

बांध से बाढ़ अधिक देर रुकता नहीं
प्रेम कितना छुपाओ वो छुपता नहीं
बांध लो चाहे जंजीर पावों में तुम
प्रेम तूफ़ान है कभी झुकता नहीं

किया भूल तुमने जो इसे टोकने की
दिल के पंछी को उड़ने से रोकने की
तड्पाएगा तुमको रुलाकर-सताकर
बेचैन कर देगा नींदे चुरा कर

फिर ना कहना मैं दीवानी हो गयी हूँ
खोयी हूँ सपनों में और बेगानी हो गयी हूँ
प्रेम होता ही दरअसल बहुत ताकतवर है
तभी तो कहा प्रेम ही ईश्वर है

इसे कैद रखना बड़ा ही कठिन है
फिर मेरी या तेरी हस्ती ही क्या है
मौज उनकी तो पूछो प्रेम जिनको हुआ है
मिल जाये समझना खुदा की दुआ है

No comments:

Post a Comment