Thursday, January 26, 2012


रात भर सोता नहीं सूरज


रात भर सोता नहीं सूरज

छिप-छिप कर रोता है सूरज


सुबह हुई, सूरज आया है

आँखें उसकी लाल-लाल है,

पड़ी घास पर बूंदें सभी

उसके अश्रुओं की फुहार है


किरण-वस्त्र से पोंछ रहा वह

अश्रु-बूंदों को सोख रहा वह

कर प्रकाश, प्रिया को खोज रहा वह

थक कर अब घर लौट रहा वह


कल फिर आएगा वह

बादलों को साथ लिए

छिप-छिप कर ढूंढेगा उसको

एक नयी आस लिए


रात भर सोता नहीं सूरज

छिप-छिप कर रोता है सूरज

No comments:

Post a Comment